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जाने माने कवि, गीतकार और फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने पुस्तक "दो पलकों की छांव में" का किया विमोचन

जाने माने कवि, गीतकार और फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने पुस्तक "दो पलकों की छांव में" का किया विमोचन ~इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की अंग्रेजी विभाग की पूर्व प्रोफेसर डॉ. हेमा जोशी ने लिखी है पुस्तक~ Nov 17; जाने-माने कवि लेखक और गीतकार प्रसून जोशी ने डॉ. हेमा जोशी द्वारा लिखित पुस्तक "दो पलकों की छांव में" का विमोचन किया।
इस पुस्तक में अपने स्वयं के जीवन के एक काल्पनिक विवरण के आधार पर लेखिका डॉ हेमा जोशी ने अपने साहित्यिक स्वभाव को दो भारतीय शहरों,अल्मोडा जहां उनका जन्म हुआ और प्रयागराज जहां उन्होंने अपने बाद के वर्ष बिताए, के प्रति अपने प्यार के साथ जोड़ा है। एक प्रेम कहानी की पृष्ठभूमि पर आधारित, यह किताब डॉ. जोशी के उन दो दुनियाओं के साथ आंतरिक संघर्ष के बारे में है, जिसमें वह रहती थीं - एक रोमांटिक रमणीय परिस्थिति जिसमें वह बड़ी हुईं, दूसरी उनका संघर्ष जो लचीलापन और चरित्र का निर्माण करता है।
पुस्तक विमोचन के मौके पर बोलते हुए, मुख्य अतिथि प्रसून जोशी ने कहा कि डॉ हेमा जोशी की पुस्तक जब पढ़ते हैं तो इसके चरित्र से जुड़ते चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक का प्रकाशन पहले हो जाना चाहिए था। यह धीमी आंच पर पका हुआ लेखन है। इसमें कच्चापन बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के चार-पांच पन्ने पढ़ने पर ही पता चल जाता है कि लेखन पका हुआ है। इंग्लिश की प्रोफेसर डॉ हेमा जोशी के हिंदी में लेखन पर कहा कि इंग्लिश की नदी में डुबकी लगाई है। लेकिन इनकी अंजुलि हिंदी की है। इस मौके पर पहाड़ को लेकर भी उन्होंने चर्चा की। पहाड़ की खान-पान से लेकर संस्कारों की बात की। कहा पहाड़ आपको छल नहीं सिखाता है। उन्होंने कहा कि डॉ हेमा जोशी के लेखन में पहाड़ की साफगोई और पहाड़ की पारदर्शिता है। उन्होंने कहा कि डॉ हेमा जोशी जी का साहित्य बांसुरी है। इसके लिए समय निकालना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि डॉक्टर हेमा जोशी का व्यक्तित्व ऐसा है कि वह दूसरों के लिए जीती हैं। और जो दूसरों के लिए जीते हैं उनकी रचनाएं बहुत देर में आती हैं।

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